आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय | Hazari Prasad Dwivedi Ka Jivan Parichay

विवरणजानकारी
नामआचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
जन्म तिथि19 अगस्त 1907
जन्म स्थानओझवलिया गाँव, बलिया जिला, उत्तर प्रदेश
मूल नामवैद्यनाथ द्विवेदी
पिताअनमोल द्विवेदी (ज्योतिषी और संस्कृत विद्वान)
माताज्योतिष्मती
प्रारंभिक शिक्षागांव में, बाद में बसरीकापुर के मिडिल स्कूल में
संस्कृत अध्ययनपराशर ब्रह्मचर्य आश्रम
काशी में शिक्षारणवीर संस्कृत पाठशाला और काशी हिंदू विश्वविद्यालय
शादीभगवती देवी
उपाधियांशास्त्री (1930), ज्योतिषाचार्य (1930)
शांतिनिकेतन में अध्ययनरवींद्रनाथ टैगोर और आचार्य क्षितिजमोहन सेन के प्रभाव में अध्ययन
प्रोफेसर और अध्यक्षहिंदी भवन शांतिनिकेतन, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी
पुरस्कार1949: डी.लिट., 1957: पद्मभूषण, 1966: रविंद्रनाथ टैगोर पुरस्कार, 1973: साहित्य अकादमी पुरस्कार
मृत्यु तिथि19 मई 1979
मृत्यु का कारणब्रेन ट्यूमर

जीवन परिचय तथा साहित्यिक उपलब्धियाँ-

हिन्दी के श्रेष्ठ निबन्धकार, उपन्यासकार, आलोचक एवं भारतीय संस्कृति के युगीन व्याख्याता आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म वर्ष 1907 में बलिया जिले के दूबे का छपरा’ नामक ग्राम में हुआ था। संस्कृत एवं ज्योतिष का ज्ञान इन्हें उत्तराधिकार में अपने पिता पण्डित अनमोल दूबे से प्राप्त हुआ। वर्ष 1930 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ज्योतिषाचार्य की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1950 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष बने।वर्ष 1957 में इन्हें ‘पद्म भूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। अनेक गुरुतर दायित्वों को निभाते हुए उन्होंने वर्ष 1979 में रोग-शय्या पर ही चिरनिद्रा ली।

कृतियाँ-

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने अनेक ग्रन्थों की रचना की, जिनको निम्नलिखित वर्गों दूबे में प्रस्तुत किया गया है-

  • निबन्ध संग्रह- अशोक के फूल, कुटज,विचार-प्रवाह,आलोक पर्व, कल्पलता।
  • आलोचना साहित्य- सूर-साहित्य, कालिदास की लालित्य योजना, कबीर, साहित्य-सहचर, साहित्य का मर्म।
  • इतिहास- हिन्दी साहित्य की भूमिका, हिन्दी साहित्य का आदिकाल, हिन्दी साहित्यः उद्भव और विकास।
  • उपन्यास- बाणभट्ट की आत्मकथा, चारुचंद्र लेख, पुनर्नवा, अनामदास का पोथा।
  • सम्पादन- नाथ-सिद्धों की बानियाँ, संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो, सन्देश-रासका।
  • अनूदित रचनाएँ- प्रबन्ध चिन्तामणि, पुरातन प्रबन्ध संग्रह, प्रबन्ध-कोश, परिचय, लाल कनेर, मेरा बचपन आदि।

भाषा शैली-

द्विवेदी जी ने अपने साहित्य में संस्कृतनिष्ठ, साहित्यिक तथा सरल भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने संस्कृत के साथ-साथ अंग्रेजी, उर्दू तथा फारसी भाषा के प्रचलित शब्दों का प्रयोग भी किया है। द्विवेदी जी की भाषा शुद्ध, परिष्कृत एवं परिमार्जित खड़ी बोली है।

हिन्दी साहित्य में स्थान-

डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी की कृतियाँ हिन्दी साहित्य की शाश्वत निधि हैं।हिन्दी साहित्य जगत में उन्हें एक विद्वान् समालोचक, निबन्धकार एवं आत्मकथा लेखक के रूप में ख्याति प्राप्त है। वस्तुतः वे एक महान् साहित्यकार थे। आधुनिक युग के गद्यकारों में उनका विशिष्ट स्थान है।

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