रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जीवन परिचय | Ramdhari Singh Dinkar ka Jivan Parichay

जीवन परिचय-

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म सन् 1908 में बिहार के मुंगेर जिले के अन्तर्गत सिमरिया घाट नामक ग्राम में हुआ था, इनके पिता का नाम रवि सिंह तथा माता का नाम श्रीमती मनरूप देवी था। इन्होंने मोकामा घाट से मैट्रिक तथा पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. (ऑनर्स) किया। इनकी काव्य प्रतिभा का परिचय बाल्यावस्था में ही उस समय हो गया था, जब इन्होंने मिडिल कक्षा में पढ़ते हुए ‘वीरबाला’ नामक काव्य की रचना कर ली थी। सन् 1928-29 में इन्होंने काव्य सृजन के क्षेत्र में विधिवत् कदम रखा। सन् 1934 में ब्रिटिश सरकार के युद्ध प्रचार विभाग में उपनिदेशक रहे। इन्हें सन् 1959 में ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार की उपाधि से अलंकृत किया गया। ये ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ और ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से भी सम्मानित किए गए। और इनका निधन सन् 1974 में हो गया।

रचनाएँ-

दिनकर जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे, इन्होंने गद्य और पद्य दोनों विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई। इनकी प्रसिद्ध कृतियाँ निम्नलिखित हैं

निबन्ध संग्रह- मिट्टी की ओर, अर्द्धनारीश्वर, रेती के फूल, उजली आग। संस्कृति ग्रन्थ- संस्कृति के चार अध्याय, भारतीय संस्कृति की एकता।
आलोचना ग्रन्थ- शुद्ध कविता की खोज।
काव्य ग्रन्थ- रेणुका, हुँकार, सामधेनी, रूपवन्ती, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा।
भाषा शैली- दिनकर जी की भाषा में तत्सम शब्दों की बहुलता होती है, फिर भी सुबोधता और स्पष्टता सर्वत्र विद्यमान रहती है। इनकी भाषा में उर्दू, फारसी और अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग मिलता है।इन्होंने अपने निबन्धों में विवेचनात्मक, समीक्षात्मक और भावात्मक शैली का प्रयोग किया है।

हिन्दी साहित्य में स्थान-

दिनकर जी उत्कृष्ट कोटि के कवि ही नहीं, बल्कि उच्चकोटि के गद्यकार भी थे। इन्होंने अपने काव्य में देश के प्रति असीम राष्ट्रीय भावना का परिचय दिया है। राष्ट्रीय भावनाओं पर आधारित इनका साहित्य भारतीय साहित्य की अनमोल धरोहर है। इनकी गणना विश्व के महान् साहित्यकारों में की जाती है।

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