परिचय
गौतम बुद्ध, जिन्हें “एशिया का प्रकाश” (Light of Asia) कहा जाता है, का जीवन दीन-हीन और दुखी लोगों की मदद करने के लिए समर्पित था। वे एक महान ज्ञानी, संत और शिक्षक थे, जिन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की। उनका जीवन और उपदेश आज भी दुनिया भर में लोगों को मार्गदर्शन देते हैं।
जन्म एवं जन्म स्थान
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था। उनका नाम सिद्धार्थ था। उनके पिता का नाम शुद्धोधन था, जो कपिलवस्तु राज्य के शासक थे, और उनकी माता का नाम माया देवी था। सिद्धार्थ का जन्म होते ही एक भविष्यवाणी हुई थी, जिसमें कहा गया था कि यह बच्चा या तो महान राजा बनेगा या फिर महान शिक्षक। सिद्धार्थ के जन्म के कुछ समय बाद उनकी माता का निधन हो गया, और उनका पालन-पोषण उनकी सौतेली मां गौतमी ने किया।
बाल्यकाल से ही अनोखे
सिद्धार्थ बचपन से ही बाकी बच्चों से अलग थे। वे अपने महल में ऐशो आराम की जिंदगी जीते थे, लेकिन उनका मन इन भोगों में बिल्कुल भी नहीं लगता था। उनके पिता को चिंता होती थी कि उनका बेटा बाकी राजकुमारों की तरह नहीं है। सिद्धार्थ का ध्यान हमेशा जीवन के गहरे सवालों पर रहता था, और वह बिना किसी शिक्षक के भी बहुत कुछ जानने की कोशिश करते थे।
अत्यंत दयालु सिद्धार्थ
सिद्धार्थ शिकार करना पसंद नहीं करते थे, हालांकि वे हथियारों में माहिर थे। एक बार जब उनके चचेरे भाई देवब्रत ने एक हंस को शिकार किया, तो सिद्धार्थ ने उस हंस की जान बचाई। वे हमेशा दयालु और दूसरों की मदद करने में विश्वास करते थे। उनका समय अक्सर अकेले चिंतन करने में बीतता था, जहां वह जीवन और मृत्यु के सवालों पर विचार करते थे।
भगवान बुद्ध का विवाह और घर त्याग
सिद्धार्थ के पिता ने उनका विवाह राजकुमारी यशोधरा से करवा दिया, ताकि उनका ध्यान दुनिया की खुशियों से हट सके। जल्द ही सिद्धार्थ को एक बेटा हुआ, लेकिन फिर भी उनका मन सांसारिक सुखों में नहीं लग रहा था। वह जीवन के गहरे सवालों के जवाब जानने के लिए उत्सुक थे। इसीलिए, एक रात जब उनका परिवार सो रहा था, सिद्धार्थ ने घर छोड़ने का निर्णय लिया और जंगल में चले गए। उन्होंने अपनी पत्नी और बेटे को अकेला छोड़कर दुनिया से मोह त्याग दिया।
निष्कर्ष
सिद्धार्थ के घर छोड़ने के बाद वह एक साधु की तरह रहने लगे। उन्होंने जीवन के कठिन सवालों के जवाब जानने की कोशिश की। उन्होंने वृद्धावस्था, बीमारी और गरीबी जैसी समस्याओं को देखा और इससे विचलित हो गए। इन सवालों के जवाब तलाशते हुए ही उन्होंने अंततः ज्ञान प्राप्त किया और “बुद्ध” के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनके जीवन ने यह सिखाया कि हर व्यक्ति को जीवन के गहरे सवालों पर विचार करना चाहिए और आत्मज्ञान की ओर बढ़ना चाहिए।