संकेत बिन्दु प्रस्तावना, भारत का प्राकृतिक सौन्दर्य, महापुरुषों की धरती, उपसंहार।
प्रस्तावना भारत देश हम सब भारतवासियों के लिए स्वर्ग के समान सुन्दर है। हमने इसी की पावन धरा पर जन्म लिया है। इसकी गोद में पलकर हम बड़े हुए हैं। इसके अन्न-जल से हमारा पालन-पोषण हुआ है, इसलिए हमारा कर्त्तव्य है कि हम इससे प्यार करें तथा इसकी रक्षा के लिए अपने प्राणों को बलिदान कर दें।
महाराजा दुष्यन्त और शकुन्तला के न्यायप्रिय पुत्र भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। हिन्दू बाहुल्य होने के कारण इसे हिन्दुस्तान भी कहा जाता है।
आधुनिक भारत की सीमाएँ उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पूर्व में अरुणाचल से लेकर पश्चिम में गुजरात तक फैली हुई हैं। भारत संसार का सबसे बड़ा प्रजातान्त्रिक देश है। यहाँ सभी लोग मिल-जुलकर निवास करते हैं।
हमारे देश में सभी धर्मों के लोगों को अपने ईश्वर की पूजा करने की पूरी स्वतन्त्रता है। इस प्रकार भारत देश एक कुटुम्ब के समान है जिस कारण इसे विभिन्न धर्मों का संगम स्थल भी कहा जा सकता है। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने लिखा है- “वसुधैव कुटुम्बकम्।”
भारत का प्राकृतिक सौन्दर्य भारत का प्राकृतिक सौन्दर्य केवल भारतवासियों को ही मोहित नहीं करता, बल्कि विदेशी भी हर साल काफी संख्या में भारत आते है। यह वह देश है जहाँ पर छह ऋतुएँ समय-समय पर आती हैं और इस देश की धरती को अनेक प्रकार के अनाज, फूलों एवं फलों से भर देती है।
भारत के पर्वत, झरने, नदियाँ, रेगिस्तान, वन-उपवन, हरे-भरे मैदान एवं समुद्रतट इस देश की शोभा बढ़ाते है। जहाँ एक ओर कश्मीर में स्वर्ग दिखाई पड़ता है, तो वहीं दूसरी ओर केरल की हरियाली स्वर्गिक आनन्द से परिपूर्ण है। भारत मे अनेक नदियों हैं जो वर्ष भर इस देश की धरती को सींचती है, उसे हरा-भरा बनाती हैं और अन्न-उत्पादन में सहयोग करती हैं।
महापुरुषों की धरती भारत को महापुरुषों की धरती भी कहा जाता है। यहाँ पर अनेक महान् ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया, जिन्होंने वेदों का गान किया तथा उपनिषद् और पुराणों की रचना की। यहाँ श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, जिन्होंने गीता का ज्ञान देकर विश्व को कर्म का पाठ पढ़ाया। यहीं पर भगवान राम का जन्म हुआ था, जिन्होंने न्यायपूर्ण शासन का आदर्श स्थापित किया। यहीं पर महावीर स्वामी और बुद्ध ने अवतार लिया, जिन्होंने मानव को अहिंसा की शिक्षा दी तथा क्रमशः जैन धर्म और बौद्ध धर्म का प्रतिपादन किया। यहाँ पर बड़े-बड़े वीर, प्रतापी सम्राट अशोक, अकबर, चन्द्रगुप्त मौर्य, विक्रमादित्य आदि हुए जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। आधुनिक काल में गरीबों के मसीहा महात्मा गाँधी, शान्तिदूत पं. जवाहरलाल नेहरू, विश्व मानवता के प्रचारक रवीन्द्र नाथ टैगोर आदि का जन्म भी इसी महान् देश में हुआ।
उपसंहार हमारे देश की शान्ति व अहिंसा आदि से प्रभावित धर्म, संस्कृति, दर्शन का संगम, होने पर महान् शायर इकबाल ने कहा था- “सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा। हम बुलबुले हैं इसकी यह गुलिस्ताँ हमारा।” अतः हमारे देश की यह धरती धन्य है और इसमें रहने वाले लोग भी बड़े सौभाग्यशाली हैं। हम अपने भारत देश पर गर्व करते हैं, जो हमेशा इसी तरह बना रहेगा।