संकेत बिन्दु प्रस्तावना, वैज्ञानिक उपलब्धियाँ, युवाओं के प्रेरणा स्रोत, पुरस्कारों से सम्मान, उपसंहार।
प्रस्तावना ‘मिसाइल मैन’ के नाम से विख्यात भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का 27 जुलाई, 2015 को भारतीय प्रबन्धन संस्थान (आई आई एम) शिलांग में एक व्याख्यान के दौरान हृदयाघात होने से निधन हो गया। वैज्ञानिक क्षेत्रों में अद्वितीय उपलब्धियों के कारण डॉ. कलाम की गणना विश्व के महानतम वैज्ञानिकों में की जाती है। सेण्ट जोसेफ, तिरुचिरापल्ली से बी.एससी. एवं मद्रास इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अन्तरिक्ष विज्ञान में स्नातक करने के पश्चात् डॉ. कलाम ने एच.ए.एल., बंगलुरु में नौकरी करना प्रारम्भ कर दिया।
वैज्ञानिक उपलब्धियाँ एक वैज्ञानिक के रूप में डॉ. कलाम के जीवन की यात्रा वर्ष 1960 से शुरू हुई, जब वह विक्रम साराभाई अन्तरिक्ष अनुसन्धान केन्द्र थुम्बा से जुड़े। वर्ष 1962 में इसरो से जुड़ने के पश्चात् कलाम ने होवरक्राफ्ट परियोजना पर कार्य आरम्भ किया। डॉ. कलाम कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं से भी जुड़े। उन्होंने परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1980 में कलाम ने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया। वर्ष 1982 में डॉ. कलाम को भारतीय रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संस्थान (डीआरडीओ) का निदेशक नियुक्त किया गया। इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम की सफलता का श्रेय भी डॉ. कलाम को जाता है। उन्होंने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियन्त्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल) को डिज़ाइन किया तथा अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलों को स्वदेशी तकनीक से बनाया। वर्ष 1998 में डॉ. कलाम की देखरेख में भारत ने पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया।
युवाओं के प्रेरणा स्रोत राष्ट्रपति पद से 25 जुलाई, 2007 को सेवामुक्त होने के पश्चात् कलाम शिक्षण, लेखन, मार्गदर्शन और शोध जैसे कार्यों में व्यस्त रहे। राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल में उन्होंने कई देशों का दौरा किया एवं भारत का शान्ति का सन्देश दुनियाभर को दिया। इस दौरान उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया एवं अपने व्याख्यानों द्वारा देश के नौजवानों का मार्गदर्शन करने एवं उन्हें प्रेरित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। वह भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनन्तपुरम के कुलाधिपति, अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई में एयरोस्पेस इन्जीनियरिंग के प्रोफेसर बन गए। उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और अन्तर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी विषय भी पढ़ाया। इस प्रकार डॉ. कलाम देशभर के बच्चों और युवाओं के प्रेरणा स्रोत बन गए।
पुरस्कारों से सम्मान डॉ. कलाम की महान् उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1981 में ‘पद्म भूषण’, वर्ष 1990 में ‘पद्म विभूषण’ और वर्ष 1997 में ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किया। नेशलन स्पेस सोसायटी ने वर्ष 2013 में उन्हें अन्तरिक्ष विज्ञान से सम्बन्धित परियोजनाओं के कुशल संचालन और प्रबन्धन के लिए ‘वॉन ब्राउन अवॉर्ड’ से पुरस्कृत किया। वर्ष 2014 में उन्हें एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम द्वारा ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की मानद उपाधि प्रदान की गई।
उपसंहार डॉ. कलाम ने सपना देखा था कि वर्ष 2020 तक भारत विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा होगा। ऐसे संकल्पवान व अपनी प्रतिभा के बल पर पूरी दुनिया में अपनी सफल पहचान बनाने वाले देश के इस महान् वैज्ञानिक को सच्ची श्रद्धांजलि तभी दी जा सकती है, जब देश का प्रत्येक नागरिक उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प ले। उन्होंने कहा भी है-
“अपने मिशन में कामयाब होने के लिए आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त और निष्ठावान होना पड़ेगा।”