प्रस्तावना
हमारा वातावरण बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन हम अक्सर इस पर ध्यान नहीं देते। हम मनुष्य इसी वातावरण में रहते हैं, और हमारा जीवन इसी पर निर्भर है। हमने अपनी जरूरतों और स्वार्थ के कारण पृथ्वी को बहुत प्रदूषित कर दिया है। खासकर, जीवाश्म ईंधन के जलने से जो गंदा और जहरीला धुआं निकलता है, उसने पृथ्वी को बहुत नुकसान पहुँचाया है। इस कारण पृथ्वी की शुद्धता और सुंदरता को फिर से लौटाना मुश्किल हो सकता है। ये जीवाश्म ईंधन जलने से कार्बन-डाइऑक्साइड गैस निकलती है, जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है। इसके अलावा, ये ओजोन परत को भी नुकसान पहुँचाती है।
ईंधन के प्रकार
ईंधन वह पदार्थ होते हैं, जो जलाने पर गर्मी पैदा करते हैं। यह शब्द संस्कृत के ‘इन्ध’ शब्द से आया है, जिसका मतलब ‘जलाना’ होता है। ईंधन कई प्रकार के होते हैं:
- ठोस ईंधन: ये ठोस रूप में होते हैं। जैसे लकड़ी, कोयला, और पीट। इन्हें जलाने पर राख बनती है और ये कम गर्मी पैदा करते हैं।
- द्रव ईंधन: ये द्रव रूप में होते हैं। जैसे पेट्रोल, डीजल, और मिट्टी का तेल। इन्हें जलाने पर राख नहीं बनती और ये ज्यादा गर्मी पैदा करते हैं।
- गैस ईंधन: ये गैस के रूप में होते हैं और अधिक ज्वलनशील होते हैं। जैसे प्राकृतिक गैस, एलपीजी (तरल पेट्रोलियम गैस) और हाइड्रोजन। ये ईंधन हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होते हैं, जैसे खाना बनाने में।
- नाभिकीय ईंधन: ये बहुत खास होते हैं, क्योंकि इनका उपयोग परमाणु शक्ति उत्पादन में होता है। इसमें नाभिकीय क्रियाएं होती हैं।
ईंधन के स्रोत के आधार पर भी तीन प्रकार होते हैं:
- रसायनिक ईंधन: जैसे हाइड्रोजन और मिथेन।
- जीवाश्म ईंधन: जैसे कोयला और पेट्रोलियम।
- जैव ईंधन: जैसे लकड़ी, बायो डीजल (जैविक डीजल) और काष्ठ कोयला।
निष्कर्ष
हमें ईंधन का उपयोग समझदारी से करना चाहिए। हमें कुछ आसान उपाय अपनाने चाहिए, जैसे कार पूलिंग (अर्थात एक ही गंतव्य पर जाने वाले लोग एक ही कार में यात्रा करें), ताकि ईंधन बच सके, प्रदूषण कम हो और ट्रैफिक भी कम हो। यह हमारे पर्यावरण को बचाने में मदद करेगा।