प्रस्तावना (Introduction)
आजादी के समय भारत में कृषि बहुत पीछे थी। उस समय जो तरीके खेती में इस्तेमाल होते थे, वे पुराने और पारंपरिक थे, जिसके कारण फसल की पैदावार बहुत कम होती थी। अब जबकि समय बदल चुका है, कृषि में कुछ उर्वरकों का इस्तेमाल होने लगा है, लेकिन फिर भी कृषि की उत्पादकता बहुत अच्छी नहीं है। इस वजह से भारत में खेती केवल किसानों की रोजी-रोटी का साधन बनकर रह गई है। इसके अलावा, कृषि में उतनी नये तरीके और मशीनों का इस्तेमाल नहीं है, जितना बाकी देशों में है। इसलिए आज भी हमारे देश की कृषि कई देशों से पीछे है।
कृषि के प्रकार (Types of Agriculture)
कृषि दुनिया की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण गतिविधियों में से एक है, लेकिन यह हर जगह एक जैसा नहीं होता। अलग-अलग देशों में कृषि के अलग-अलग प्रकार होते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है:
- पशुपालन (Animal Husbandry) – इस प्रकार की खेती में मुख्य रूप से जानवरों की देखभाल और पालन किया जाता है। किसान अपने जानवरों को पालने के लिए एक स्थिर और व्यवस्थित तरीके से काम करते हैं। यह खानाबदोश जीवनशैली से अलग होता है।
- वाणिज्यिक वृक्षारोपण (Commercial Plantation) – इस प्रकार की खेती में कुछ विशेष फसलें उगाई जाती हैं, जिनका व्यापारिक मूल्य होता है, जैसे चाय, कॉफी, रबर, और ताड़ का तेल। ये फसलें मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई जाती हैं, जैसे एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कुछ हिस्सों में।
- भूमध्यसागरीय कृषि (Mediterranean Agriculture) – यह खेती आमतौर पर भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में की जाती है। यहाँ गेहूं और खट्टे फल जैसे संतरे प्रमुख फसलें होती हैं। छोटे जानवर भी पाले जाते हैं। यह खेती विशेष प्रकार के जलवायु और भूभाग में होती है।
- अल्पविकसित गतिहीन जुताई (Primitive Subsistence Farming) – यह एक प्रकार की खेती है जिसमें एक ही भूमि पर लगातार सालों तक खेती की जाती है। यह खेती मुख्य रूप से खाद्य फसलों के लिए होती है, जैसे धान, गेहूं और रबर के पेड़ इत्यादि।
- दूध उत्पादन (Dairy Farming) – दूध उत्पादन उन जगहों पर होता है जहां ठंडा और समशीतोष्ण जलवायु हो, जैसे डेनमार्क और स्वीडन में। यहाँ किसान दूध देने वाले जानवरों जैसे गाय और भैंसों को पालते हैं।
- झूम खेती (Shifting Agriculture) – यह प्रकार की खेती मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होती है। इसमें किसान एक जगह खेती करते हैं, फिर उस जगह को छोड़कर नई जगह पर खेती शुरू कर देते हैं। यह प्रक्रिया पर्यावरण पर प्रभाव डाल सकती है, इस कारण से अब इसमें कमी आ रही है।
- वाणिज्यिक अनाज की खेती (Commercial Grain Farming) – इस प्रकार की खेती में बड़ी मात्रा में अनाज उगाए जाते हैं, जो व्यापार के लिए होते हैं। यह खेती मुख्य रूप से उन इलाकों में होती है, जहाँ कम वर्षा होती है और बहुत अधिक लोग नहीं रहते हैं।
- पशुधन और अनाज की खेती (Mixed Farming) – इस प्रकार की खेती में किसान पशुपालन और फसलें दोनों करते हैं। यह खेती मुख्य रूप से यूरोपीय देशों में होती है और बाजार के पास होती है।
उपसंहार (Conclusion)
कृषि और व्यवसाय अलग-अलग होते हैं, लेकिन आपस में जुड़े हुए हैं। कृषि में संसाधनों का उपयोग, फसल की कटाई, प्रसंस्करण और विपणन सब एक साथ होते हैं। यदि इन सभी गतिविधियों को अच्छे से मिलाकर चलाया जाए, तो कृषि और व्यापार दोनों के लिए फायदा हो सकता है।