ग्राम्य स्वच्छता: हिंदी निबंध

संकेत बिन्दु प्रस्तावना, अस्वच्छता होने के कारण, अस्वच्छता का प्रभाव, ग्राम्य स्वच्छता के लिए किए गए उपाय, उपसंहार।

प्रस्तावना हमारे देश का आर्थिक विकास पूर्णतः नागरिकों के विकास पर निर्भर है। परन्तु यदि नागरिकों का ही विकास धीमी गति से हो रहा हो, तो आर्थिक विकास में तीव्रता कहाँ से आएगी।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

यह बात किसी देश के लिए और भी ज्यादा गम्भीर हो जाती है, तब उस देश की अधिकतम जनसंख्या गाँवों में निवास करती हो। गाँव में आज भी विकास की राह में जो रोड़ा है, वो स्वच्छता को लेकर है। आज भी कुछ गाँव स्वच्छता के बारे में अधिक जानकारी नहीं रखते हैं। अतः यह एक चिन्ता का विषय है।

अस्वच्छता होने के कारण गाँवों में अस्वच्छता का मूल कारण जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ स्पष्टतः स्वच्छता के ज्ञान का अभाव है। 2011 की जनगणना के अनुसार, हमारे देश में 5.97 लाख से अधिक गाँवों की संख्या है, जिनमें 83.37 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या निवास करती है। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (NSS) के नतीजें बताते हैं कि 59.4% गाँवों के परिवार खुले में शौच करने के लिए विवश है, जो अस्वच्छता और बीमारियों का मूल कारण है। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी भी इन परिणामों को बढ़ावा देती है।

अस्वच्छता का प्रभाव ग्रामीण इलाकों में साफ-सफाई की जानकारी की कमी होने के कारण उनके खान-पान, रहन-सहन, जल सभी पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ग्रामीण इलाकों में शौचालय की पूर्ण व्यवस्था न होने के कारण ग्रामीण महिलाओं को खुले में शौच जाना पड़ता है। जिससे उनकी मान-मर्यादा के भी आहत होने का खतरा बना रहता है। दूषित जल व भोजन की वजह से अनेक बीमारियाँ घर कर लेती हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार डायरिया, पीलिया आदि की सबसे अधिक शिकायत ग्रामीण क्षेत्रों से ही मिलती हैं। स्वच्छता के लिए आवश्यक साधनों की कमी से आर्थिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ता है। कई महिलाएँ, बालिकाएँ विद्यालय तक नहीं जा पातीं, जिससे वे आर्थिक गतिविधियों में अपना पूर्णरूपेण सहयोग भी नहीं कर पातीं।

ग्राम्य स्वच्छता के लिए किए गए उपाय ग्राम्य अस्वच्छता से निपटने के लिए बहुत-सी पहल की गई हैं। अब शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों तथा वहाँ के विद्यालयों में शौचालय बनाने के लिए कॉर्परिट सेक्टर को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वहीं केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल के हाल ही के फैसले के तहत ‘निर्मल भारत अभियान’ को स्वच्छ भारत (ग्रामीण) में पुनर्गठित कर दिया गया है। नई योजनाओं के तहत अधिक से अधिक घर निर्माण के तहत ग्रामीण शौचालय बनवाएँ, इसके लिए ग्रामीण इलाके में प्रत्येक घर में वित्तीय मदद ₹ 10,000 से बढ़ाकर ₹ 15,000 कर दी गई है। विद्यालयों में कन्याओं के लिए शौचालय बनाने की जिम्मेदारी मानव संसाधन मन्त्रालय के तहत आने वाले स्कूलों, शिक्षा और साक्षरता विभाग को सौंपी गई है। स्वच्छता अभियान में शौच व्यवस्था के अतिरिक्त ठोस व तरल कचरे के प्रवन्धन की भी व्यवस्था पर जोर दिया गया है। जगह-जगह कचरा होने से, गन्दा पानी फैलने से इंसानों को ही नहीं पशुधन को भी नुकसान होता है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए नई योजना में कचरा प्रबन्धन की पुरानी व्यवस्था और वित्तीय सहायता के प्रावधानों को बरकरार रखा गया है, जिसके तहत केन्द्र, राज्य व ग्रामीण समुदाय मिलकर व्यय करेंगे।

उपसंहार आज शहरों में ग्रामीण इलाके से पलायन बढ़ रहा है। भले ही शहरों में ग्रामीणों को कोई बेहतर स्वस्थ वातावरण न मिल पाता हो, फिर भी गाँवों में रोजगार की कमी उन्हें शहर जाने के लिए मजबूर करती है। अतः यदि स्वच्छ और स्वस्थ – गाँव की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, तो ग्रामीण, शहरों की ओर पयालन ही नहीं करेंगे।

कहा जाता है कि गाँवों की हवा में जो ताजगी है, वो शहरों में नहीं होती। शहरों की तुलना में गाँवों में वायु व ध्वनि प्रदूषण कम मिलता है। फिर भी अगर गाँवों के ■ लोग अस्वस्थ हैं, तो उसके लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी एक कारण हो सकती हैं। अतः अधिक जरूरत इस बात की है कि गाँवों में बीमारी ही नहीं पनपे। स्वच्छ भारत अभियान इसी दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top