किसी मैच का आँखों देखा हाल किसी खेल का आँखों देखा वर्णन: हिंदी निबंध

संकेत बिन्दु प्रस्तावना, विद्यालय परिसर में हॉकी मैच, खेल के मैदान पर, मैच का प्रारम्भ, मैच का संघर्ष, मैच की पराकाष्ठा और समापन, पुस्तक वितरण।

प्रस्तावना जिस प्रकार स्वस्थ शरीर के लिए उचित और पर्याप्त भोजन – आवश्यक है, उसी प्रकार मानसिक और शारीरिक विकास के लिए खेल भी परम आवश्यक है। इसी आवश्यकता को दृष्टि में रखते हुए। प्राचीनकाल से ही मानव ने अनेक प्रकार के खेलों को जन्म दिया है। खेलों और खेल की भावना को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अनेक प्रकार की प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। खेल की – प्रतियोगिता को ही ‘मैच’ कहा जाता है। आजकल फुटबॉल, वॉलीबॉल, क्रिकेट, हॉकी, बैडमिण्टन व टेनिस आदि की कितनी ही प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।

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विद्यालय परिसर में हॉकी मैच प्राचार्य के सप्रयासों के कारण हमारे कॉलेज को जिला खेलकूद रैली के हॉकी का फाइनल मैच आयोजित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। फाइनल मुकाबले के लिए प्रतियोगी दो टीमों में से एक हमारे कॉलेज की टीम थी तथा दूसरी टीम राजकीय इण्टर कॉलेज की थी। कॉलेज के खेलकूद के मैदान को हॉकी-मैदान का रूप दिया जा चुका था। आयोजन की समस्त तैयारियाँ पूरी की जा चुकी थीं।

खेल के मैदान पर दोपहर हो चुकी थी और सूरज की धूप अत्यन्त सुहावनी प्रतीत हो रही थी। मैं हॉकी मैच देखने के लिए अपने विद्यालय के मैदान पर पहुँच गया। विद्यालय के छात्रों के अतिरिक्त स्थानीय दर्शकों की अपार भीड़ वहाँ पर एकत्र थी। सभी को मुख्य अतिथि की प्रतीक्षा थी, जो कि हमारे नगर के जिलाधीश महोदय थे। कुछ ही देर में मुख्य अतिथि की कारें आ पहुँची और उन्हें सम्मान के साथ आसन ग्रहण कराया गया।

कुछ ही देर में भिन्न-भिन्न रंगों की पोशाक पहने दोनों टीमे मैदान में आ गई और पंक्ति बनाकर खड़ी हो गईं। हमारे विद्यालय की टीम लाल पोशाक में तथा राजकीय विद्यालय की टीम नीली पोशाक में सुसज्जित थी। दोनों टीमों के कप्तानों ने मुख्य अतिथि से खिलाड़ियों का परिचय कराया। इसके बाद दोनों टीमें खेलने के उद्देश्य से अपने-अपने क्षेत्र में खड़ी हो गईं। मैंने देखा कि काली जरसी पहने दो निर्णायक भी मैदान में आ चुके थे।

मैच का प्रारम्भ दोनों टीमों के कप्तानों ने हाथ मिलाया। गेंद मैदान के बीचो-बीच रखी हुई थी। सभी खिलाड़ी गेंद के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे तथा रेफरी ने सीटी बजाई और राजकीय इण्टर कॉलेज के कप्तान की हॉकी गेंद पर लगी। इस प्रकार मैच शुरू हो गया।

मैच का संघर्ष सभी खिलाड़ी गेंद को विपक्षी दल की ओर जाने से रोक रहे थे। कभी एक खिलाड़ी गेंद को खींच ले जाता, तो कभी दूसरा उससे छीनकर गोल में डालने के लिए गेंद को दूसरी ओर ले जाता। दर्शक हर्षध्वनि करके खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रहे थे, तभी रेफरी की सीटी बजी। हमारी टीम को पहला पेनाल्टी कॉर्नर मिला। खिलाड़ी गोल के पास सिमट आए थे। विपक्षी टीम का गोल-कीपर गेंद रोकने के लिए एकदम तैयार खड़ा था। सबकी आँखें उसी पर टिकी हुई थीं। कप्तान ने गेंद पर स्ट्रोक मारा और गेंद भन्नाती हुई विपक्षी टीम के गोल में जा टकराई। तालियों की आवाज से मैदान गूंज उठा। इसी बीच रेफरी ने लम्बी सीटी बजाई। इसका अर्थ था कि मध्यावकाश हो गया है।

मध्यावकाश होते ही खिलाड़ी एक बार फिर मैदान में आ गए और गेंद फिर से खिलाड़ियों की हॉकियों के साथ इधर से उधर नृत्य करने लगी। खिलाड़ी मैदान में इतनी तेजी से भाग रहे थे कि उन्हें देखकर लगता था, कि मानों उनके पैरों में बिजली भर दी गई हो। इसी बीच हमारे कप्तान ने जोर का हिट मारा और गेंद फिर से विपक्षी टीम के गोल में जाकर बैठ गई। आकाश कोलाहल से भर गया। हमारे विद्यालय के छात्रों में अपूर्व उल्लास दिखाई दे रहा था और विपक्षी टीम के खिलाड़ियों के चेहरे मुरझा गए थे।

मैच की पराकाष्ठा और समापन विपक्षी टीम अच्छा खेल रही थी, फिर भी उसके सारे प्रयास व्यर्थ हो गए। केवल एक मिनट शेष रह गया था, तभी विपक्षी टीम के कप्तान ने जोर का हिट मारा। किन्तु हाय रे दुर्भाग्य ! गेंद गोल के खम्भे से टकराई और मैदान से बाहर चली गई।

रेफरी की सीटी बजी और प्रतियोगिता समाप्त हो गई। छात्र तालियाँ बजाए जा रहे थे। कुछ छात्र इतने अधिक उत्साह में आ गए कि सारे बन्धनों को तोड़कर मैदान में घुस गए और कप्तान को कन्धों पर उठा लिया।

पुरस्कार वितरण पुरस्कार वितरण में सर्वप्रथम हमारी टीम के कप्तान ने ‘चल-वैजयनती’ प्राप्त की। इसके बाद टीम का एक-एक खिलाड़ी पुरस्कार लेने के लिए मंच तक आया। दर्शको ने तालियाँ बजाकर उनका स्वागत किया। इस प्रकार यह रोमांचक प्रतियोगिता सम्पन्न हुई। कई महीने बीतने पर आज भी मुझे ऐसा लगता है जैसे वह प्रतियोगिता दो-चार दिन पहले ही हुई हो।

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