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प्रस्तावना मानव एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में रहकर विभिन्न प्रकार के अच्छे-बुरे कर्म करता है तथा अपनी रुचि के अनुसार अच्छाई और बुराई को अपनाता है। उन्हीं अच्छे-बुरे गुणों में से एक गुण साहस भी है। जिस व्यक्ति में साहस की भावना होती है, वह कभी भी जीवन में असफल नहीं होता है। साहस मनुष्य का एक श्रेष्ठतम गुण है।
साहस से तात्पर्य साहसिक कार्य का तात्पर्य है किसी नई और अज्ञात वस्तु की खोज करना। हमारे देश में साहसिक कार्य करने की इच्छा कम लोगों में है।
बिना किसी निश्चित स्वार्थ के कोई कार्य करना हमारे स्वभाव और प्रकृति के बिल्कुल विपरीत है। हम उपयोगितावादी व्यक्ति हैं। यदि हम कहीं यात्रा पर जाते हैं तो ऐसे कार्य के लिए जाते हैं जो या तो इस जन्म में लाभ देगा अथवा तीर्थयात्रा के द्वारा अपने अगले जन्म को सफल बनाने में सहयोग देगा।
साहस का अर्थ साहस का वास्तविक अर्थ है किसी अज्ञात वस्तु की प्राप्ति के आनन्द के कारण ही सभी प्रकार के कर और जोखिमों का सामना करना। यह हमारे साहस की भावना के लिए चुनौती है और हमारे मन की दृढ़ता की परीक्षा है। अज्ञात वस्तु का आह्वान हमे रोमांचित और उत्तेजित करता है। ऐसी किसी बात को खोज निकालना, जिसका हमें कोई ज्ञान नहीं, जोखिम का काम नहीं कहा जा सकता।
साहस एक भावनात्मक एवं सकारात्मक गुण निःसन्देह साहसिक कार्य करने की भावना का मनुष्य के चरित्र पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यह मनुष्य को वीर और दृढ़ बनाती है। इससे वह अपने भाग्य का निर्माता बन जाता है। यह उसे निर्भीक परन्तु सचेत और सोच-समझकर कदम उठाने वाला साहसी, परन्तु दुःसाहस न करने वाला बनाती है।
साहस की भावना का विकास दृढ़ता से किया जाता है। हम जीवन को इतना प्यार करते हैं कि इसे गँवाने के लिए बहुत उत्सुक नहीं हैं। फिर भी एक कंजूस की तरह जीवन से अत्यधिक प्यार करने का भी सम्भवतः कोई औचित्य नहीं है। अच्छा तो यह होता है कि हम जीवन और मरण को भूलकर साहस और निर्भीकता से जोखिमों का सामना करें। इससे हमें शक्ति तथा प्रेरणा मिलती है। इससे जीवन में उत्साह का संचार होता है और जीवन जीने योग्य बनता है। युवकों के लिए यह अच्छी बात है कि वे बिना किसी साथी के और अपनी ही प्रेरणा से कभी-कभी बाहर जाया करें और दुनिया को स्वयं देखें। “साहस का जीवन असम्भव कार्य करने की कला का अभ्यास होता है।”
कुछ साहसिक प्रेरक प्रसंग भारत में इस सम्बन्ध में स्थिति अब बहुत कुछ बदल चुकी है। तेनसिंह द्वारा एवरेस्ट पर चढ़ाई और राकेश शर्मा की अन्तरिक्ष यात्रा बहुत ही प्रेरणादायक सिद्ध हुए हैं। पर्वतारोहण विद्यालयों की स्थापना के बाद हिमालय की बहुत-सी ऐसी चोटियों पर विजय प्राप्त कर ली गई है, जिस पर अभी तक कोई नहीं चढ़ पाया था।
हमारे बहुत से भारतीय युवकों ने बिना जेब में एक पैसा लिए साइकिल पर एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीपों की यात्राएँ की हैं। राजनैतिक स्वतन्त्रता के परिणामस्वरूप मानसिक स्वतन्त्रता का मिलना निश्चित होता है और जैसे-जैसे बुद्धि का क्षेत्र विस्तृत होता है, हम टेनीसन के यूलिसिस के इस आदर्श वाक्य के अनुरूप कार्य करते जाते हैं कि “प्रयास करो, खोज करो, पता लगाओ और कभी हार न मानो।”
कोलम्बस अपनी सुख-सुविधा छोड़कर दुस्साहसिक यात्रा पर निकल पड़ते थे। ह्वेनसांग और फाह्यान तो पैदल ही हिमालय के मुश्किल रास्तों को, बाधाओं को लांघते हुए भारत पहुँचे थे। वास्को-डि-गामा जैसे इन सभी साहसिक प्रवृत्ति वाले लोगों ने दुनिया को अनजानी जगहों से परिचित कराया।
साहस का सकारात्मकता से गहरा रिश्ता है। ये सकारात्मकता ही थी कि कॉपरनिक्स, अरस्तू, सुकरात, गैलीलियो जैसे लोग बड़े उद्देश्य के लिए साहस का प्रदर्शन कर सके। सकारात्मकता नैतिक साहस को बताती है। प्लेटो ने कहा कि साहस हमें डर से मुकाबला करना सिखाता है। साहसिक नेता गाँधी, नेल्सेन मण्डेला, मार्टिन लूथर किंग जू., ऑग सान सू की साहसिक पहल ने अन्याय के विरुद्ध विशाल जनमत को खड़ा किया।
बहाव के विपरीत तैरने वाली सालमन मछली जैसी-कई महिलाओं को आज भी उनके साहस के लिए याद किया जाता है। अफ्रीकी आयरन लेडी कहलाने वाली साइबेरिया की राष्ट्रपति ऐलेन जॉनसन सरलिफ को शान्ति का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। सरलिफ ने शान्ति की स्थापना के साथ ही सामाजिक एवं आर्थिक विकास पर भी ध्यान दिया। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने साहस के बल पर ही अंग्रेजों की विशाल सेना का डटकर मुकावला किया।
साहस को उम्र या अनुभव से नहीं आंक सकते। बिरसा मुण्डा ने 25 वर्ष की उम्र में लोगों को एकत्र कर एक ऐसे आन्दोलन का संचालन किया, जिसने देश की स्वतन्त्रता में विशेष योगदान दिया, आदिवासी समाज में एकता लाकर धर्मान्तरण को रोका और दमन के विरुद्ध आवाज उठाई। साहसपूर्ण जीवन केवल एक सीढ़ी नहीं है, वो तो अन्तहीन सिलसिला है, जिससे हर सीढ़ी के बाद नया आत्मविश्वास मिलता है।
पद्म श्री, अर्जुन पुरस्कार आदि अनेक पुरस्कारों से सम्मानित पर्वतारोही बछेन्द्रीपाल का कहना है कि “जैसे-जैसे चुनौतियों को स्वीकार करते हैं, साहस और हिम्मत बढ़ती जाती है। अन्दर का भय कहाँ चला जाता है, पता ही नहीं चलता है।”
जीत साहस नहीं है, बल्कि वह संघर्ष साहस है, जो हम सब जीतने के लिए करते हैं। साहस केवल दैहिक क्षमता का हिंसक प्रदर्शन या भयानक हुँकार नहीं है। सफल न होने पर अगले प्रयास के लिए ऊर्जा जुटाना भी साहस ही तो है। दशरथ मांझी एक ऐसा नाम जिसे ‘माउण्टेन मैन’ कहा जाता है, अपने साहस के बल पर उन्होंने छेनी और हथौड़े की सहायता से पहाड़ को चीर कर 360 फिट लम्बा और 30 फिट चौड़ा रास्ता 22 वर्षों के अथक प्रयास से पूरा किया। उनके साहसी जुनून का ही फल है कि आज गया जिले के अत्री और वजीरगंज ब्लॉक की दूरी 80 किमी से घटकर मात्र 3 किमी रह गई।
साहस से लाभ साहस की भावना मनुष्य के अन्दर अनेक गुणों का विस्तार करती है। साहसी मनुष्य स्वावलम्बी बनता है, स्वयंसेवी, सहायक बन जाता है। साहस की भावना मनुष्य को चरित्रवान, दयावान, सहयोगी, आत्मनिर्भर और निडर बनाती है। वह किसी भी परिस्थिति में स्वयं की तथा दूसरों की सहायता कर उनके जीवन की रक्षा करता है। विवेकानन्द जी ने कहा है कि – “विश्व में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते हैं कि उनमें समय पर साहस का संचार नहीं हो पाता, वे भयभीत हो उठते हैं।”
उपसंहार यदि मानव अपनी क्षमताओं के आकलन में साहस न दिखाता, तो वह भी चौपाया होता। वास्तविकता तो ये है कि एक साधारण मनुष्य को सफल जिन्दगी जीने के लिए इस साहस की उतनी ही जरूरत होती है, जितनी कि किसी महान् व्यक्ति या योद्धा को। गाड़ी चलाने से लेकर दुनिया चलाने तक, कोई भी काम साहस के बिना नहीं हो सकता। साहस हर व्यक्ति में होता है, जरूरत बस इतनी है कि खुद को पहचाने, जाने और मंजिल की ओर एक कदम बढ़ाए। कहते भी हैं- Fortune Favors The Brave. कहने का तात्पर्य यह है कि साहस से ही संसार का कठिन से कठिन कार्य सम्भव होता है।