व्यावसायिक शिक्षा का महत्त्व: हिंदी निबंध

संकेत बिन्दु प्रस्तावना, व्यावसायिक रोजगारोन्मुखी शिक्षा की दिशा में किए गए सरकारी प्रयास उपसंहार।

प्रस्तावना मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। सामाजिक संस्थाओं के सम्पर्क में आकर वह विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रियाओं में भाग लेता रहता है। मनुष्य के इस समाजीकरण की प्रक्रिया में परिवार, पड़ोस, स्कूल, समुदाय इत्यादि का व्यापक प्रभाव पड़ता है। शिक्षा के कई उद्देश्यों में से एक, समाज की इन संस्थाओं से समायोजन के लिए व्यक्ति का सामाजिक विकास भी होता है और इसके लिए रोज़गारपरक शिक्षा अनिवार्य है। यदि शिक्षा, रोज़गार की आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हो, तो ऐसी शिक्षा का कोई औचित्य नहीं रह जाता ! महान् विचारक प्लेटो ने कहा था- “जिस दिशा में शिक्षा व्यक्ति की शुरुआत करती है, उसी दिशा में जीवन में उसके भविष्य का निर्धारण भी करती है।”

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आधुनिक भारतीय समाज निर्धनता, बेरोज़गारी, जनसंख्या वृद्धि जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। इस दृष्टिकोण से भी शिक्षा को रोज़गारोन्मुखी बनाना अनिवार्य है। केवल पुरुषों को शिक्षा प्रदान कर देने से समाज का पूर्ण विकास सम्भव नहीं, स्त्रियों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना भी देश के विकास के दृष्टिकोण से अनिवार्य है।

शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना है, इसलिए शिक्षा का उपयोग सामाजिक विकास के साधन के रूप में किया जाता है। यह राष्ट्रीय एकता एवं विकास को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाती है। इसके द्वारा सामाजिक कुशलता का विकास होता है। यह समाज को कुशल कार्यकर्ताओं की पूर्ति करती है। यह समाज की सभ्यता एवं संस्कृति का संरक्षण, पोषण एवं उसका प्रसार करती है। यह समाज के लिए योग्य नागरिकों का निर्माण करती है। इस तरह, सामाजिक सुधार एवं उन्नति में शिक्षा सहायक होती है। उचित शिक्षा के अभाव में मनुष्य कार्यकुशल नहीं बन सकता। कार्यकुशलता के बिना व्यावसायिक एवं आर्थिक सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती।

व्यावसायिक रोजगारोन्मुखी शिक्षा की दिशा में किए गए सरकारी प्रयास सरकार बढ़ती युवाओं की रोजगार की उपलब्धता को सुनिश्चित करने हेतु उच्चतर शिक्षण संस्थाओं जैसे आईआईटी, आईआईएम, मेडिकल कॉलेज व अन्य तकनीकी संस्थान आदि की संख्या में लगातार वृद्धि कर रही है। इसके साथ ही डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स का संचालन भी कर रही है ताकि बच्चों को प्रशिक्षण के साथ रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। इसके साथ ही तकनीकी शिक्षा को पूरा करने व प्लेसमेण्ट की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ अन्य प्रोत्साहन कार्यक्रमों को भी संचालित कर रही है, जैसे-

  • बैचलर ऑफ वोकेशनल स्टडीज उपाधि
  • कौशल केन्द्र
  • सक्षम छात्र वृत्ति
  • प्रगति योजना
  • राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना
  • राष्ट्रीय आविष्कार योजना
  • प्रधानमन्त्री कौशल विकास योजना

उपसंहार इस प्रकार शिक्षा को रोज़गारोन्मुखी बनाने के लिए व्यावसायिक शिक्षा पर ज़ोर दिया जा रहा है। वर्ष 2017 तक भारत में छोटे एवं बड़े कुल 819 विश्वविद्यालय खोले जा चुके हैं। इनमें व्यावसायिक शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों का संचालन, मेक इन इण्डिया योजना को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम के अन्तर्गत दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से भी रोजगारोन्मुख शिक्षा दी जा रही है। इसके साथ ही रोज़गारपरक व्यावसायिक शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों के मानकों के समन्वयन, निर्धारण तथा अनुरक्षण करने के उत्तरदायित्व को निभाने के लिए कुछ संवैधानिक व्यावसायिक परिषदें भी कार्यरत् हैं। शिक्षा को रोज़गार के सम्बन्ध से देखा जाए, तो नई पीढ़ी के युवाओं ने अपनी बुद्धि एवं क्षमता का लोहा विश्वभर में मनवाया है।

भारत में प्रायः उच्च शिक्षा को ही रोज़गारपरक शिक्षा का माध्यम बनाया गया है। कम पढ़े-लिखे लोगों के सामने हमेशा रोज़गार की समस्या बनी रहती है। ऐसे लोगों को स्वरोज़गार आधारित शिक्षा देकर रोज़गार से जोड़ने में सफलता प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि रोज़गारपरक शिक्षा का भारत के आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और प्रजातान्त्रिक विचारधारा को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान हो सकता है, बशर्ते इसके प्रति लोगों को जागरूक बनाया जाए।

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